अंतिम समय पर ब्रिटेन में प्रदर्शित होने से रोकी द केरला स्टोरी

May 15 2023

अंतिम समय पर ब्रिटेन में प्रदर्शित होने से रोकी द केरला स्टोरी

भारत में बहुविवादित, बहुप्रचारित और बहु सफल फिल्म द केरला स्टोरी का विवाद ब्रिटेन में भी पहुँच गया है। बताया जा रहा है कि वहाँ के सेंसर बोर्ड ने फिल्म के तीनों वर्जन—हिन्दी, तमिल, मलयालम—देखने के बाद भी फिल्म को एज सर्टिफिकेशन देने में देरी की जिसके चलते फिल्म का प्रदर्शन नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि द केरला स्टोरी 12 मई को वहाँ पर प्रदर्शित होनी थी, फिल्म के टिकट एडवांस में बेच दिए गए थे, लेकिन अंतिम मौके पर फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी गई। वहां के कुछ भारतीय लोगों ने कहा कि उनके पास रिफंड का एक मेल आया है। उस मेल में लिखा है कि ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया, जिसकी वजह से फिल्म की रिलीज टाल दी गई है। सारे वेबसाइट्स से भी टिकट बेचे जाने पर रोक लगा दी गई है। वहां पर फिल्म 31 स्क्रीन्स पर रिलीज होने वाली थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वहाँ की निवासी सलोनी नाम की एक महिला ने कहा, बहुत सारे लोगों ने फिल्म देखने के लिए टिकट खरीद लिए थे। स्क्रीनिंग भी 95 प्रतिशत फुल थी, लेकिन लास्ट मोमेंट में एक मेल आ गया। उस मेल में लिखा था- ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म क्लासिफिकेशन इस फिल्म को एज सर्टिफिकेशन नहीं दे पाई। जिस वजह से हमें आपकी बुकिंग कैंसिल करनी पड़ रही है। आपको हुई असुविधा के लिए हम खेद व्यक्त करते हैं। हम आपका रिफंड भेज रहे हैं। सलोनी ने कहा कि उन्होंने फिल्म देखने के लिए 3 टिकट खरीदे थे।

ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने कहा- फिल्म का सर्टिफिकेशन अभी नहीं हुआ
सेंसर बोर्ड की तरफ से कहा गया, फिल्म द केरला स्टोरी का सर्टिफिकेशन अभी भी प्रोसेस में है। एज रेटिंग का सर्टिफिकेट मिलते ही फिल्म को यूके के सिनेमाघरों मेंं दिखाया जाएगा।

ब्रिटेन में फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर सुरेश वरसानी ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें मजबूरी में सभी थिएटर्स मालिकों को फोन करना पड़ा कि वे फिल्म को रिलीज न करें। ब्रिटेन में सेंसर बोर्ड की परमिशन के बिना फिल्म दिखाना गैरकानूनी है। बिना सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के कोई भी फिल्म इंग्लैंड में रिलीज नहीं हो सकती।

सुरेश वरसानी ने कहा, मैंने सेंसर बोर्ड को 10 मई को फिल्म से जुड़ी सारी चीजें सबमिट की थी। मैंने फिल्म के तीनों वर्जन (हिंदी, तमिल और मलयालम) सेंसर बोर्ड के सामने रखा था। 10 मई को उन्होंने एक वर्जन देख ली थी, जबकि बाकी दो वर्जन अगले दिन देखी। इस हिसाब से एज सर्टिफिकेशन उसी दिन हो जाना था। जब हमने उनसे सवाल किया तो उनके पास कोई सीधा जवाब नहीं था।

सुरेश का कहना है कि वो काफी सालों से इस बिजनेस में हैं लेकिन ऐसी परिस्थिति का सामना पहली बार कर रहे हैं। सेंसर बोर्ड को एक सर्टिफिकेट देने में तीन दिन से ज्यादा का समय क्यों लग रहा है। यहां तक कि अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और आयरलैंड ने भी फिल्म को हरी झंडी दिखा दी है। उन्हें इसकी वजह से अब तक 40 से 50 लाख रुपए का नुकसान हो गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके के कुछ हिंदू और जैन संगठनों ने बीबीएफसी को खत लिखा है और अनुरोध किया है कि इस मामले का जल्द निपटारा करके फिल्म को रिलीज कर दिया जाए।