लखनऊ : नगर निगम सदन की कार्यवाही में पार्षदों ने काटा हंगामा

Jul 25 2021

लखनऊ : नगर निगम सदन की कार्यवाही में पार्षदों ने काटा हंगामा

India Emotions, लखनऊ। नगर निगम सदन की करीब दो साल बाद शुरू हुई कार्यवाही में आज जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस पार्षद ममता चौधरी के तीखे सवालों ने मेयर को परेशान कर दिया। ममता ने पूछा कि क्या जल निगम हमारे अधीन नहीं आता ?अगर नहीं तो हम यहां क्यों जल निगम से जुड़े मसलों पर बात कर रहे हैं ? नगर आयुक्त हमेशा यही बोलते हैं कि जल निगम से मेरा कोई लेना देना नहीं। उससे जुड़ी समस्याएं ठीक नही करा सकते। पार्षद के इन सवालों से मेयर भड़क गई और सदन स्थगित कर वह बाहर निकल गईं। इस बीच, समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने भी जमकर हंगामा किया। सभी ने नगर आयुक्त को हटाने की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे।

इतना ही नही भाजपा की पार्षद कुमकुम राजपूत ने भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि लोगों के घरों में सीवर का पानी आ रहा है और अधिकारियों से इस बारे पूंछने पर जवाब नहीं देते। हम लोगों के कहने पर अधिकारी कोई काम नहीं करते हैं। जनता का सामना हम लोगों को करना पड़ता है। क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ इससे लोग हमें गालियां देते हैं। अगर हम जनता के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं, तो सदन और हमारा यहां होना बेकार है।

वहीं भाजपा पार्षद राम नरेश रावत ने कहा कि उनके वार्ड में पेयजल की व्यवस्था नहीं है। वाटर लेवल नीचे चला गया है। इस वजह से हैंडपंप खराब हो गए। नगर निगम सीमा में 88 गांव शामिल हुए हैं। 30 साल से जो इलाके नगर निगम में शामिल हैं। वहां कुछ नहीं हुआ तो 88 गांव में कैसे होगा ? कम से कम पहले पुराने इलाके में तो व्यवस्था सही करानी चाहिए। मेयर से कहा कि आप को BJP को बदनाम किया जा रहा हैं। हम आगामी चुनाव में कैसे जाएंगे ?

भाजपा पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान ने कहा- सदन का एजेंडा कल मिला। नियम 96 घंटे पहले मिलने का है। अधिकारी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। 1989 से पार्षद हूं। लेकिन यह हाल है।भाजपा पार्षद रजनीश गुप्ता ने कहा- अभी तक सीवर के कनेक्शन नहीं हुए हैं। लेकिन उनको बिल भेज दिया जा रहा। शहर में ऐसे लाखों लोग हैं। सदन में पास हुआ था कि जहां कनेक्शन नहीं वहां से बिल नहीं लिया जाएगा। लेकिन बिल भेज कर उगाही का धंधा चल रहा है।महात्मा गांधी इलाके से कांग्रेस पार्षद अमित चौधरी ने कहा- उनके वार्ड में तब से पानी की समस्या है, जब वह पार्षद नहीं थे। पाइप लाइन खराब हो गई है। शर्म की बात है कि हम लखनऊ को साफ पानी नहीं दे पा रहे हैं।भारतेंदु हरिश्चंद्र चंद वार्ड से पार्षद रुपाली गुप्ता ने कहा- उनके वार्ड में 15 साल से पानी की टंकी खराब है। जर्जर हो चुकी है। उसकी वजह से आसपास के 200 परिवार खतरे में हैं। भाजपा पार्षद राम नरेश रावत ने कहा- उनके वार्ड में पेयजल की व्यवस्था नहीं है। वाटर लेवल नीचे चला गया। इस वजह से हैंडपंप खराब हो गए।भाजपा पार्षद कुमकुम राजपूत ने कहा- जनता के बीच जाकर हम पार्षद गाली खाते हैं। घरों में सीवर का पानी आ रहा है। अधिकारी जवाब नहीं देते है। वह कुछ नहीं करते है। अगर हम जनता के लिए कुछ नहीं करते हैं तो सदन और हमारा यहां होना बेकार है।कांग्रेस पार्षद ममता चौधरी ने कहा- जल निगम क्या हमारे अंडर में आता है। अगर नहीं तो हम क्या बात कर रहें। नगर आयुक्त ने कहा कि हमारे अंडर में नहीं आता। हम उनके लोगों से बात करते हैं।

सदन की कार्यवाही से पहले सपा पार्षदों ने हंगामा किया। सदन के बाहर सपा पार्षद और गार्ड के बीच धक्का-मुक्की हुई है। इसमें कई पार्षदों के कपड़े फट गए हैं। प्रदर्शनकारी पार्षद नगर आयुक्त को हटाने की मांग कर रहे थे। पार्षदों ने आरोप लगाया कि आयुक्त की मिलीभगत से कई सरकारी जमीनों पर कब्जा हो रहा है। पार्षद जीतू यादव की अगुवाई में मोनू कनौजिया, शैलेन्द्र सिंह बल्लू समेत कई महिला पार्षद भी हंगामा करती नजर आईं।पार्षदों की नाराजगी का आलम यह है कि तीन सत्र को मिलाकर पार्षद 118 सवाल करेंगे। इसमें सड़क, सीवर, नाली, स्ट्रीट लाइट, जमीनों पर अवैध कब्जा, पिछली योजनाओं में करोड़ों खर्च होने के बाद कोई काम न होना, सफाई कर्मचारियों को लेकर कोई स्पष्ट आदेश न होने जैसे महत्वपूर्ण सवाल है। 60% से ज्यादा मामले पहली या दूसरी बार पार्षद बने लोग उठाएंगे।

इसमें संतोष राय, जीतू यादव, अरविंद यादव, हर्षित दीक्षित, अमित चौधरी, राघव राम तिवारी, नेहा सौरभ सिंह, राम नरेश रावत, प्रदीप कुमार शुक्ला, मोनू कनौजिया ने सभी सत्र में सवाल पूछे हैं। उसके अलावा पुराने लोगों में ममता चौधरी, रजनीश गुप्ता, राजेश मालवीय से सवाल उठाए हैं। गिरीश मिश्रा और रेशू जैसे सबसे पुराने पार्षदों के पास जनता को लेकर कोई सवाल नहीं है।

सदन में जो प्रस्ताव पास होंगे, उसमें सबसे जरूरी प्राइवेट स्थानों पर भी पार्किंग चलाने से पहले नगर निगम की एनओसी लेने का प्रस्ताव प्रमुख है। इसमें पार्किंग शुल्क भी नगर निगम की तरफ से ही निर्धारित होगा। संचालकों को शौचालय, पेयजल तथा बैठने के लिए टीन शेड और कुर्सी का इंतजाम करना होगा। कर्मचारियों को ड्रेस और फोटो पहचान पत्र देना होगा। इसके साथ ही रसीद पर पार्किंग मालिक का नाम, पता, वाहन नंबर, वाहन खड़ा करने का समय और मोबाइल नंबर लिखना होगा।