Chhath Puja 2022 : छठ पूजा व्रत कथा सुनकर बनेंगे बिगड़े काम, बरसेगी छठी मइया की कृपा

Oct 30 2022

Chhath Puja 2022 : छठ पूजा व्रत कथा सुनकर बनेंगे बिगड़े काम, बरसेगी छठी मइया की कृपा

ई दिल्ली : छठ पूजा (Chhath Puja 2022) का महत्व तो सभी जानते हैं कि यह लोगों के लिए कितना खास है. इस व्रत की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो चुकी है. आज छठ पूजा का तीसरा दिन है. छठ पूजा बड़े ही विधि विधान के अनुसार की जाती है. इस दौरान छठी मइया के साथ भगवान सूर्य की भी पूजा की जाती है, जो लोग इस व्रत को करते हैं वो शाम के समय में जब सूर्य देव अस्त होते हैं तो पानी में खड़े होकर उनको अर्घ्य देते हैं. इस दिनों छठी मइया की कथा का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है जो लोग छठी मइया (Chhath Mata) की कथा सुनते हैं या सुनाते हैं मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

छठ पूजा व्रत कथा -

एक समय की बात है. एक राजा प्रियंवद थे, जिनकी पत्नी का नाम मालिनी था. विवाह के काफी वर्ष बीतने के बाद भी उनको कोई संतान नहीं हुई. तब उन्होंने कश्यप ऋषि से इसका समाधान पूछा तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने का सुझाव दिया. कश्यप ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया और राजा की पत्नी मालिनी को प्रसाद स्वरूप खीर खाने को दिया.

उसके प्रभाव से रानी गर्भवती हो गईं, जिससे राजा प्रियंवद बड़े खुश हुए. कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह भी मृत पैदा हुआ. यह खबर सुनकर राजा बहुत दुखी हो गए. वे पुत्र के शव को लेकर श्मशान गए और इस दुख के कारण अपना भी प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया. जब वे अपना प्राण त्यागने जा रहे थे, तभी देवी देवसेना प्रकट हुईं. उन्होंने राजा प्रियंवद से कहा कि उनका नाम षष्ठी है. हे राजन! तुम मेरी पूजा करो और दूसरों लोगों को भी मेरी पूजा करने को कहो. लोगों को इसके लिए प्रेरित करो.

देवी देवसेना की आज्ञानुसार राजा प्रियंवद ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की. उन्होंने यह पूजा पुत्र प्राप्ति का कामना से की थी. छठी मैय्या के शुभ आशीर्वाद से राजा प्रियंवद को पुत्र की प्राप्ति हुई. तब से हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा की जाने लगी. जो व्यक्ति जिस मनोकामना के साथ छठ पूजा का व्रत रखता है और उसे विधि विधान से पूरा करता है, छठी मैय्या के आशीष से उसकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है. लोग पुत्र प्राप्ति और संतान के सुख जीवन के लिए यह व्रत रखते हैं.